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Digest #3338
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Wed Dec 11, 2013 6:50 am (PST) . Posted by:
"ganesh kumble" ganeshkumble101
"हर खुशी दिल के करीब नहीं होती,
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती,
इस दोस्ती को संभाल कर रखना,
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती."
--------------------
"आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी,
जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी,
कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने,
तब शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी."
---------------------
"सच्ची है मेरी दोस्ती आजमा के देखलो,
करके यकीं मुझ पे मेरे पास आके देखलो.
बदलता नहीं कभी सोना अपना रंग,
जितनी बार दिल करे आग लगा कर देखलो."
----------------------
"दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर,
बातें रह जाती हैं कहानी बनकर,
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे,
कभी मुस्कान तो कभी आखों का पानी बन कर."
-----------------------
"कंजूसों की जिंदगी क्या जीना,
कभी हमारी तरह भी जिया करो,
रोज मेरे SMS पढ़ कर शरम नहीं आती,
कभी खुद भी SMS किया करो."
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती,
इस दोस्ती को संभाल कर रखना,
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती."
------------
"आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी,
जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी,
कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने,
तब शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी."
------------
"सच्ची है मेरी दोस्ती आजमा के देखलो,
करके यकीं मुझ पे मेरे पास आके देखलो.
बदलता नहीं कभी सोना अपना रंग,
जितनी बार दिल करे आग लगा कर देखलो."
------------
"दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर,
बातें रह जाती हैं कहानी बनकर,
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे,
कभी मुस्कान तो कभी आखों का पानी बन कर."
------------
"कंजूसों की जिंदगी क्या जीना,
कभी हमारी तरह भी जिया करो,
रोज मेरे SMS पढ़ कर शरम नहीं आती,
कभी खुद भी SMS किया करो."
Wed Dec 11, 2013 7:54 am (PST) . Posted by:
"asgargheewala" asgargheewala
Sent from Samsung Mobile
-------- Original message --------
From: Mahesh Popat <mahesh_popat@
Date:01/12/2013 4:31 PM (GMT+04:00)
To: Hindi_Jokes@
Subject: [Hindi Jokes] shayari
कुछ लोग सारी ज़िन्दगी
इन्सान नहीं बन पाते ।
और..
हम रोज़ मयखाने से
खुदा बनकर निकलते है ।।
अभी सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम होने दो"
मैं खुद लौट जाउंगा मुझे नाकाम होने दो"
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों"
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो..
न इतराओ इतना, बुलंदियो को छूकर, वक़्त के सिकंदर पहले भी कई हुये,
जंहा होते थे कभी शहंशाहो के महल, देखे है वही, अब उनके मकबरे बने हुये है
हे सबके दुःख एक से मगर होसले हे जुदा जुदा
कोई टूट के बिखर गया तो कोई मुस्कुरा के चल दिया
Wed Dec 11, 2013 11:57 am (PST) . Posted by:
"ganesh kumble" ganeshkumble101
Sahi baat Thai mulla Jim
Maa baap bache ko sab Kuch dete he.maa baap apne pet ko khali karke bhi
bacho ko khilate hai.
Par Kuch bache patni ane k baad maa baap ko bul jate Thai.Her ek insan ko
sochna chahiye ki agar unka beta be Asia hi chalega to wo log jeevan kaise
nikalenge.
Asia sochne se koi b beta apne maa baap ko kabi thukrayega nahi.
Hai na doston?
Aap Ka dost Ganesh
On 09-Dec-2013 12:28 AM, "mulla rafi" <mullarafi786@yahoo.com> wrote:
> Really rongte khade ho gaye kahani padte padte. Meri aankho me aansu bhi
> aa gaye. Aisy achhchhi kahaniya aaj ke daur me zaruri hai. Maa ki kadar
> honi chaheye.
>
> Well done Ganeshjee.
> Regards,
> Mullarafi786@yahoo.com
>
> *From:* ganesh kumble <ganeshkumble2014@gmail.com>
> *To:* HJ <hindi_jokes@yahoogroups.com>
> *Sent:* Saturday, 7 December 2013, 8:37
> *Subject:* [Hindi Jokes] Maa
>
>
> हैलो माँ ...
> में रवि बोल रहा हूँ....,कैसी हो माँ....?
> मैं.... मैं…ठीक हूँ बेटे.....,ये बताओ तुम और बहू दोनों कैसे
> हो?हम दोनों ठीक हैमाँ...आपकी बहुत याद
> आती है…,...अच्छा सुनो माँ,में अगले महीने इंडिया आ
> रहा हूँ..... तुम्हें लेने। क्या...? हाँ माँ....,अब हम सब साथ
> ही रहेंगे....,नीतू कहरही थी माज़ी को अमेरिका ले
> आओ वहाँ अकेली बहुत परेशान हो रही होंगी।
> हैलो ....सुनरही हो माँ...?"हाँ...ह
> ाँ बेटे...",बूढ़ी आंखो से खुशी की अश्रुधारा बह
> निकली,बेटे और बहू का प्यार नस नस में दौड़ने लगा।
> जीवन के सत्तर साल गुजार चुकी सावित्री ने
> जल्दी सेअपने पल्लू से आँसू पोंछे और बेटे से बात करने लगी।
> पूरे दो साल बाद बेटा घर आ रहा था।
> बूढ़ी सावित्री ने मोहल्ले भरमे दौड़ दौड़ कर ये खबर
> सबको सुना दी।सभी खुश थे की चलो बुढ़ापा चैनसे बेटे
> और बहू केसाथ गुजर जाएगा।
> रवि अकेला आया था,उसने कहा की माँ हमे
> जल्दी ही वापिस जाना है इसलिए
> जो भी रुपया पैसा किसी से लेना है वो लेकररखलों और
> तब तक मे किसी प्रोपेर्टी डीलर से मकान की बात
> करता हूँ।"मकान...?",माँ ने पूछा।हाँ माँ,अब ये मकान
> बेचना पड़ेगा वरना कौन इसकी देखभाल करेगा। हम
> सबतो अब अमेरिका मे ही रहेंगे।बूढ़ी आंखो ने मकान के
> कोने कोने को ऐसे निहारा जैसे किसी अबोध बच्चे
> को सहला रही हो।
> आनन फानन और औने-पौने दाम मे रवि ने मकान बेच
> दिया। सावित्री देवी ने वो जरूरी सामान
> समेटा जिस सेउनको बहुत ज्यादा लगाव था।
> रवि टैक्सी मँगवा चुका था।एयरपोर्ट पहुँचकर रवि ने
> कहा,"माँ तुम यहाँ बैठो मेअंदर जाकर सामान की जांच
> और बोर्डिंग और विजा का काम निपटा लेता हूँ।
> ""ठीक है बेटे। ",सावित्री देवी वही पास की बेंच पर बैठ
> गई।
> काफी समय बीत चुका था। बाहर
> बैठी सावित्री देवी बार बार उस दरवाजे की तरफ देख
> रही थी जिसमे रवि गया था लेकिन अभी तक बाहर
> नहीं आया।'शायद अंदर बहुत भीड़ होगी...',सोचकरब
> ूढ़ी आंखे फिर से टकट की लगाए देखने लगती।
> अंधेरा हो चुका था। एयरपोर्ट के बाहरगहमागहमी कम
> हो चुकी थी।"माजी...,किस से मिलना है?",एक
> कर्मचारी नेवृद्धा से पूछा ।"मेरा बेटा अंदर गया था.....
> टिकिट लेने,वो मुझेअमेरिका लेकर
> जा रहा है ....",सावित्री देबी ने घबराकर कहा।"लेकिन
> अंदर तो कोई पैसेंजर नहींहै,अमेरिका जानेवाली फ्लाइट
> तो दोपहर मे ही चली गई। क्या नाम था आपके बेटे
> का?",कर्मचारी ने सवाल किया।"र....रवि....",
> सावित्री के चेहरे पेचिंता की लकीरें उभर आई।
> कर्मचारी अंदर गया और कुछ देर बादबाहर आकर
> बोला,"माजी....आपका बेटा रवि तो अमेरिका जाने
> वाली फ्लाइट सेकब का जा चुका...।""क्या.
> ....",वृद ्धा की आंखो से गरम आँसुओं का सैलाब फुट पड़ा।
> बूढ़ी माँ का रोम रोम कांप उठा।किसी तरह वापिस
> घर पहुंची जो अब बिक चुका था।रात में घर के बाहर
> चबूतरे पर ही सो गई।सुबह हुई तो दयालु मकान मालिक ने
> एक कमरा रहने को दे दिया। पति की पेंशन से घर
> का किराया और खाने का काम चलने लगा।समय गुजरने
> लगा। एक दिन मकान मालिक ने वृद्धा से
> पूछा।"माजी... क्यों नही आप अपने किसी रिश्तेदार के
> यहाँ चली जाए,अब आपकी उम्र भी बहुत
> हो गई,अकेली कब तक रह पाएँगी।""हाँ,चल
> ी तो जाऊँ,लेकिन कल
> को मेरा बेटा आया तो..?,यहाँ फिर कौन
> उसका ख्यालरखेगा?"
> ye hoti hai maa, kabhi kisi ladki ke liye ya lalach
> main uska dil na dukhana. Please share jaroor
> karna....plzzzzz
> "Salute to MAA"
>
>
>
>
>
Maa baap bache ko sab Kuch dete he.maa baap apne pet ko khali karke bhi
bacho ko khilate hai.
Par Kuch bache patni ane k baad maa baap ko bul jate Thai.Her ek insan ko
sochna chahiye ki agar unka beta be Asia hi chalega to wo log jeevan kaise
nikalenge.
Asia sochne se koi b beta apne maa baap ko kabi thukrayega nahi.
Hai na doston?
Aap Ka dost Ganesh
On 09-Dec-2013 12:28 AM, "mulla rafi" <mullarafi786@
> Really rongte khade ho gaye kahani padte padte. Meri aankho me aansu bhi
> aa gaye. Aisy achhchhi kahaniya aaj ke daur me zaruri hai. Maa ki kadar
> honi chaheye.
>
> Well done Ganeshjee.
> Regards,
> Mullarafi786@
>
> *From:* ganesh kumble <ganeshkumble2014@
> *To:* HJ <hindi_jokes@
> *Sent:* Saturday, 7 December 2013, 8:37
> *Subject:* [Hindi Jokes] Maa
>
>
> हैलो माँ ...
> में रवि बोल रहा हूँ....,कैसी हो माँ....?
> मैं.... मैं…ठीक हूँ बेटे.....,ये बताओ तुम और बहू दोनों कैसे
> हो?हम दोनों ठीक हैमाँ...आपकी बहुत याद
> आती है…,...अच्छा सुनो माँ,में अगले महीने इंडिया आ
> रहा हूँ..... तुम्हें लेने। क्या...? हाँ माँ....,अब हम सब साथ
> ही रहेंगे....,नीतू कहरही थी माज़ी को अमेरिका ले
> आओ वहाँ अकेली बहुत परेशान हो रही होंगी।
> हैलो ....सुनरही हो माँ...?"हाँ...ह
> ाँ बेटे...",बूढ़ी आंखो से खुशी की अश्रुधारा बह
> निकली,बेटे और बहू का प्यार नस नस में दौड़ने लगा।
> जीवन के सत्तर साल गुजार चुकी सावित्री ने
> जल्दी सेअपने पल्लू से आँसू पोंछे और बेटे से बात करने लगी।
> पूरे दो साल बाद बेटा घर आ रहा था।
> बूढ़ी सावित्री ने मोहल्ले भरमे दौड़ दौड़ कर ये खबर
> सबको सुना दी।सभी खुश थे की चलो बुढ़ापा चैनसे बेटे
> और बहू केसाथ गुजर जाएगा।
> रवि अकेला आया था,उसने कहा की माँ हमे
> जल्दी ही वापिस जाना है इसलिए
> जो भी रुपया पैसा किसी से लेना है वो लेकररखलों और
> तब तक मे किसी प्रोपेर्टी डीलर से मकान की बात
> करता हूँ।"मकान...?",माँ ने पूछा।हाँ माँ,अब ये मकान
> बेचना पड़ेगा वरना कौन इसकी देखभाल करेगा। हम
> सबतो अब अमेरिका मे ही रहेंगे।बूढ़ी आंखो ने मकान के
> कोने कोने को ऐसे निहारा जैसे किसी अबोध बच्चे
> को सहला रही हो।
> आनन फानन और औने-पौने दाम मे रवि ने मकान बेच
> दिया। सावित्री देवी ने वो जरूरी सामान
> समेटा जिस सेउनको बहुत ज्यादा लगाव था।
> रवि टैक्सी मँगवा चुका था।एयरपोर्ट पहुँचकर रवि ने
> कहा,"माँ तुम यहाँ बैठो मेअंदर जाकर सामान की जांच
> और बोर्डिंग और विजा का काम निपटा लेता हूँ।
> ""ठीक है बेटे। ",सावित्री देवी वही पास की बेंच पर बैठ
> गई।
> काफी समय बीत चुका था। बाहर
> बैठी सावित्री देवी बार बार उस दरवाजे की तरफ देख
> रही थी जिसमे रवि गया था लेकिन अभी तक बाहर
> नहीं आया।'शायद अंदर बहुत भीड़ होगी...',सोचकरब
> ूढ़ी आंखे फिर से टकट की लगाए देखने लगती।
> अंधेरा हो चुका था। एयरपोर्ट के बाहरगहमागहमी कम
> हो चुकी थी।"माजी...,किस से मिलना है?",एक
> कर्मचारी नेवृद्धा से पूछा ।"मेरा बेटा अंदर गया था.....
> टिकिट लेने,वो मुझेअमेरिका लेकर
> जा रहा है ....",सावित्री देबी ने घबराकर कहा।"लेकिन
> अंदर तो कोई पैसेंजर नहींहै,अमेरिका जानेवाली फ्लाइट
> तो दोपहर मे ही चली गई। क्या नाम था आपके बेटे
> का?",कर्मचारी ने सवाल किया।"र....रवि....",
> सावित्री के चेहरे पेचिंता की लकीरें उभर आई।
> कर्मचारी अंदर गया और कुछ देर बादबाहर आकर
> बोला,"माजी....आपका बेटा रवि तो अमेरिका जाने
> वाली फ्लाइट सेकब का जा चुका...।""क्या.
> ....",वृद ्धा की आंखो से गरम आँसुओं का सैलाब फुट पड़ा।
> बूढ़ी माँ का रोम रोम कांप उठा।किसी तरह वापिस
> घर पहुंची जो अब बिक चुका था।रात में घर के बाहर
> चबूतरे पर ही सो गई।सुबह हुई तो दयालु मकान मालिक ने
> एक कमरा रहने को दे दिया। पति की पेंशन से घर
> का किराया और खाने का काम चलने लगा।समय गुजरने
> लगा। एक दिन मकान मालिक ने वृद्धा से
> पूछा।"माजी... क्यों नही आप अपने किसी रिश्तेदार के
> यहाँ चली जाए,अब आपकी उम्र भी बहुत
> हो गई,अकेली कब तक रह पाएँगी।""हाँ,चल
> ी तो जाऊँ,लेकिन कल
> को मेरा बेटा आया तो..?,यहाँ फिर कौन
> उसका ख्यालरखेगा?"
> ye hoti hai maa, kabhi kisi ladki ke liye ya lalach
> main uska dil na dukhana. Please share jaroor
> karna....plzzzzz
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