Thursday, March 5, 2015

[Hindi Jokes] Digest Number 3467

1 Message

Digest #3467
1
Happy Holi from Ganeshbhai by "ganesh kumble" ganeshkumble101

Message

Thu Mar 5, 2015 2:47 am (PST) . Posted by:

"ganesh kumble" ganeshkumble101

पिचकारी की दुकान से दूर हाथों मे,
कुछ सिक्के गिनते मैने उसे देखा.

एक गरीब बच्चे की आखों मे,
मैने होली को मरते देखा.

थी चाह उसे भी नए कपडे पहनने की...

पर उन्ही पुराने कपडो को मैने उसे साफ करते देखा.

हम करते है सदा अपने ग़मो की नुमाईश...

उसे चुपचाप ग़मो को पीते देखा.

थे नही माँ-बाप उसके..

उसे माँ का प्यार और पापा के
हाथों की कमी महसूस करते देखा.

जब मैने कहा, "बच्चे, क्या चहिये तुम्हे"?

तो उसे चुप-चाप मुस्कुरा कर "ना" मे सिर हिलाते देखा.

थी वह उम्र बहुत छोटी अभी...

पर उसके अंदर मैने ज़मीर को पलते देखा

सारे शहर के लोगो के रंगे पुते चेहरे मे...

मैने उसके हँसते, मगर बेबस चेहरे को देखा.

हम तो जिंदा है अभी शान से यहाँ

पर उसे जीते जी शान से मरते देखा.

नामकूल रही होली मेरी...

जब मैने ज़िन्दगी के इस दूसरे अजीब पहलू को देखा.

मैने वो देखा..

जो हम सब ने देख कर भी नही देखा.

"इस बार होली कुछ यू मनाये

किसी गरीब की खुशियाँ रंगो
से सजाये" happy holii🙏
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