Wednesday, March 5, 2014

[Hindi Jokes] Digest Number 3371

4 Messages

Digest #3371
1
Tum kaha chupe ho bhagwan by "ganesh kumble" ganeshkumble101
2
Muskil hai apna mel priye by "ganesh kumble" ganeshkumble101
3a
Kavita by "ganesh kumble" ganeshkumble101
3b
Kavita by "ganesh kumble" ganeshkumble101

Messages

Tue Mar 4, 2014 9:02 am (PST) . Posted by:

"ganesh kumble" ganeshkumble101

तुम कहाँ छुपे भगवान
करो मत देरी
दुख हरो द्वारकानाथ
शरण मैं तेरी
यही सुना है दीनबन्धु
तुम सबका दुख हर लेते
जो निराश हैं उनकी झोली
आशा से भर देते
अगर सुदामा होती मैं
तो दौड़ द्वारका आती
पाँव आँसुओं से धो कर
मैं मन की आग बुझाती
तुम बनो नहीं अनजान,
सुनो भगवान,करो मत देरी
दुख हरो द्वारकानाथ
शरण मैं तेरी
जो भी शरण तुम्हारी आता,
उसको धीर बंधाते
नहीं डूबने देते दाता,
नैया पार लगाते
तुम न सुनोगे तो किसको
मैं अपनी व्यथा सुनाऊँ
द्वार तुम्हारा छोड़ के भगवन
और कहाँ मैं जाऊँ
प्रभु कब से रही पुकार,
मैं तेरे द्वार,करो मत देरी
दुख हरो द्वारकानाथ
शरण मैं तेरी ||

~हरे कृष्णा~
~राधे कृष्णा~

Tue Mar 4, 2014 9:43 am (PST) . Posted by:

"ganesh kumble" ganeshkumble101

मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो
मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये
तुम फौजी अफसर की बेटी
मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबडी खीर मलाई हो
मैं तो सत्तू सपरेटा हूं
तुम ए.सी. घर में रहती हो
मैं पेड. के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारूति लगती हो
मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं
इस तरह अगर हम छुप छुप कर
आपस में प्यार बढाएंगे
तो एक रोज तेरे डैडी
अमरीश पुरी बन जाएंगे
सब हड्डी पसली तोड. मुझे
भिजवा देंगे वो जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम अरब देश की घोडी हो
मैं हूं गदहे की नाल प्रिये
तुम दीवाली का बोनस हो
मैं भूखों की हड.ताल प्रिये
तुम हीरे जडी तस्तरी हो
मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये
तुम चिकेन, सूप, बिरयानी हो
मैं कंकड. वाली दाल प्रिये
तुम हिरन चौकडी भरती हो
मैं हूं कछुए की चाल प्रिये
तुम चन्दन वन की लकडी हो
मैं हूं बबूल की छाल प्रिये मैं पके आम सा लटका हूं
मत मारो मुझे गुलेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं शनिदेव जैसा कुरूप
तुम कोमल कंचन काया हो
मैं तन से, मन से कांशी हूं
तुम महाचंचला माया हो
तुम निर्मल पावन गंगा हो
मैं जलता हुआ पतंगा हूं
तुम राजघाट का शांति मार्च
मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूं
तुम हो पूनम का ताजमहल
मैं काली गुफा अजन्ता की
तुम हो वरदान विधाता का
मैं गलती हूं भगवन्ता की
तुम जेट विमान की शोभा हो
मैं बस की ठेलमपेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम नई विदेशी मिक्सी हो
मैं पत्थर का सिलबट्टा हूं
तुम ए.के. सैंतालिस जैसी
मैं तो इक देसी कट्टा हूं
तुम चतुर राबडी देवी सी
मैं भोला-भाला लालू हूं
तुम मुक्त शेरनी जंगल की
मैं चिडि.याघर का भालू हूं
तुम व्यस्त सोनिया गांधी सी
मैं वी.पी. सिंह सा खाली हूं
तुम हंसी माधुरी दीक्षित की
मैं पुलिस मैन की गाली हूं
गर जेल मुझे हो जाए तो
दिलवा देना तुम बेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं ढाबे के ढांचे जैसा
तुम पांच सितारा होटल हो
मैं महुए का देसी ठर्रा
तुम चित्रहार का मधुर गीत
मैं कृषि दर्शन की झाडी हूं
तुम विश्व सुंदरी सी महान
मैं ठेलिया छाप कबाडी हूं
तुम सोनी का मोबाइल हूं
मैं टेलीफोन वाला चोंगा
तुम मछली मानसरोवर की
मैं सागर तट का हूं घोंघा
दस मंजिल से गिर जाउंगा मत आगे मुझे ढकेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम जयप्रदा की साडी हो
मैं शेखर वाली दाढी हूं
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो
मैं लल्लू लाल अनाडी हूं
तुम जया जेटली सी कोमल
मैं सिंह मुलायम सा कठोर
तुमहेमा मालिनी सी सुंदर
मैं बंगारू की तरह बोर
तुम सत्ता की महारानी हो
मैं विपक्ष की लाचारी हूं
तुम हो ममता जयललिता सी
मैं क्वारा अटल बिहारी हूं
तुम संसद की सुंदरता हो
मैं हूं तिहाड. की जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये.
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Tue Mar 4, 2014 10:17 am (PST) . Posted by:

"ganesh kumble" ganeshkumble101

भुख महँगाई गरीबी इश्क मुझसे कर रहीं।
भाई कविता समाप्त।
रो रहे थे चोर सारे भाव मे बहने लगे।
चोर क्या करते बेचारे उनको सब सुनने पढे।
हम तो पहले से कवी थे ।
हमने खोली ङायरी।
पाँच कविता आठ मुकतक गीत दस हमने पढ़े।
तु कवि हे हास्य रस का काश हम ये जान लेते।
एक हजार का नोट देकर मुझसे यु कहने लगे।
सच बताए ङर के मारे पहले से ही भाग लेते।
हाथ मलते रह गए ।
अतिथि को कविता सुनाना भयंकर पाप हे।
घर मेरे मेहमान थे।
कया बताए आपको हम।
हमने उनको पकङा ओर लाईट को जलाई।
चुहे मचछर ओर खटमल।
रात को कुछ चोर आए।
एक होती तो निभाता।
तीनों मुझ पर मर रहीं।
गीत सुखे पर लिखे थे
बाढ़ मे सब बह गए।
देखकर चकरा गए।
मे भी भुखा ओर भुखे यह मेरे भगवान थे।
हर तरफ चुहे ही चुहे देखकर घबरा गए।

Tue Mar 4, 2014 10:53 am (PST) . Posted by:

"ganesh kumble" ganeshkumble101

कया बताए आपको हम।
हाथ मलते रह गए ।
गीत सुखे पर लिखे थे
बाढ़ मे सब बह गए।
भुख महँगाई गरीबी इश्क मुझसे कर रहीं।
एक होती तो निभाता।
तीनों मुझ पर मर रहीं।
चुहे मचछर ओर खटमल।
घर मेरे मेहमान थे।
मे भी भुखा ओर भुखे यह मेरे भगवान थे।
रात को कुछ चोर आए।
देखकर चकरा गए।
हर तरफ चुहे ही चुहे देखकर घबरा गए।
हमने उनको पकङा ओर लाईट को जलाई।
हम तो पहले से कवी थे ।
हमने खोली ङायरी।
पाँच कविता आठ मुकतक गीत दस हमने पढ़े।
चोर क्या करते बेचारे उनको सब सुनने पढे।
रो रहे थे चोर सारे भाव मे बहने लगे।
एक हजार का नोट देकर मुझसे यु कहने लगे।
तु कवि हे हास्य रस का काश हम ये जान लेते।
सच बताए ङर के मारे पहले से ही भाग लेते।
अतिथि को कविता सुनाना भयंकर पाप हे।
हम तो केवल चोर हे तु चोरो का भी बाप हे।
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